द्रौपदी मुर्मू एक भारतीय आदिवासी महिला नेता है, जो भारतीय जनता पार्टी से राष्ट्रपति पद का कार्यभार संभाल रही है। ये प्रतिभा पाटिल के बाद भारत की दूसरी महिला राष्ट्रपति तथा पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति है। अगर आप भी द्रौपदी मुर्मू के संघर्ष भरे जीवन तथा सफलता के बारे में जानना चाहते हैं, तो ये पोस्ट आपके लिए बिल्कुल ही सही है क्योंकि इस पोस्ट में हम आपको भारत के राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का जीवन परिचय (Droupadi Murmu Biography in Hindi) विस्तार से बताने वाले हैं।
आज द्रौपदी मुर्मू भारत सर्वोच्च पद राष्ट्रपति में बैठकर कार्यभार को संभाल रही है लेकिन इस पद तक पहुंचने में द्रौपदी मुर्मू को बहुत से संघर्षों का सामना करना पड़ा है। द्रौपदी मुर्मू को भारत को सर्वोच्च राष्ट्रपति पद के लिए चुना गया है, ये भारत की 15वीं राष्ट्रपति है जो देश की सेवा में अभी जुटी हुई है।
द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति पद से पहले झारखंड के राज्यपाल के रूप में 2021 तक कार्यभार संभाल चुकी है। इन्हें राष्ट्रपति पद के चुनाव में 64% वोट प्राप्त हुए थे। ये भारत की दूसरी महिला राष्ट्रपति तथा प्रथम आदिवासी महिला राष्ट्रपति है।
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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का जीवन परिचय (Droupadi Murmu Biography in Hindi)
नाम (Name) | द्रौपदी मुर्मू |
जन्म स्थान (Birth Place) | मयूरभंज, उड़ीसा |
जन्म तारीख (Birthday ) | 20 जून 1958 |
उम्र (Age) | 65 साल (2023 में) |
कॉलेज (College) | रामा देवी महिला कॉलेज भुवनेश्वर, ओडिशा |
शिक्षा (Education) | स्नातक |
घर (Home) | मयूरभंज, उड़ीसा |
ऊंचाई (Height) | 5 फीट 4 इंच |
वजन (Weight) | 74 KG |
पेशा | राजनीतिज्ञ |
राजनीतिक दल | भारतीय जनता पार्टी |
नागरिकता | भारतीय |
जाति (Cast) | अनुसूचित जाति |
द्रौपदी मुर्मू का प्रारंभिक जीवन
द्रौपदी मुर्मू का जन्म उड़ीसा में मयूरभंज के एक आदिवासी परिवार में 20 जून 1958 को हुआ था। आज 2023 में द्रौपदी मुर्मू 65 वर्ष की है। द्रौपदी मुर्मू के पिता बिरंचि नारायण टूडू है, जो खेतो में कार्य करते थे।
इनके अलावा परिवार में द्रोपदी मुर्मू के दो भाई है जिसका नाम सारणी टूडू तथा भगत टूडू है, दोनों भाई पिता के साथ खेतों में कार्य करते थे। अपने समय में द्रौपदी मुर्मू के पिता बिरंचि नारायण टूडू तथा उनके पिता गांव के प्रधान हुआ करते थे।
इसके अलावा द्रौपदी मुर्मू ने अपनी शिक्षा रामा देवी महिला कॉलेज भुवनेश्वर से स्नातक की पढ़ाई पूरी की है। इनकी पढ़ाई में इनकी दादी ने इनका अच्छा साथ दिया था।
द्रौपदी मुर्मू के बचपन के समय इनके गांव में शिक्षा की ज्यादा सुविधा नहीं थी जिसके कारण से द्रौपदी ने गांव में रहते हुए केवल सातवीं कक्षा तक पढ़ाई की थी।
परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण से मुर्मू को आगे की पढ़ाई करने में काफी तकलीफों का सामना करना पड़ रहा था। तभी उन्होंने गांव के कुछ सरकारी अधिकारी तथा मंत्रियों के सामने अपनी शिक्षा को जारी रखने का प्रस्ताव रखा।
इन सरकारी कर्मचारियों की मदद से द्रौपदी मुर्मू ने अपने आगे की शिक्षा जारी रखी। फिर इसके बाद द्रौपदी मुर्मू ने अपनी कॉलेज की पढ़ाई रामादेवी महिला कॉलेज भुवनेश्वर से पूरी की। उन्होंने इस दौरान स्नातक की डिग्री हासिल की डिग्री हासिल की थी।
पढ़ाई पूरी करने के बाद इनका एक ही लक्ष्य था, जल्द से जल्द परिवार की आर्थिक स्थिति को सुधारा जाए जिसके लिए द्रौपदी मुर्मू ने उड़ीसा के सिंचाई विभाग में नौकरी करनी शुरू की थी।
द्रौपदी मुर्मू का वैवाहिक जीवन
नौकरी शुरू करने के बाद द्रौपदी मुर्मू का विवाह श्याम चरण मुर्मू से हुआ जो बैंक में कार्य करता था। शादी होने के बाद द्रौपदी मुर्मू को ससुराल में रहते हुए नौकरी करने में काफी तकलीफों का सामना करना पड़ता था।
परिवार वालों का मानना था कि अगर दोनों नौकरी करेंगे तो बच्चे की परवरिश अच्छे से नहीं हो पाएगी ओर इसमें बच्चों का भविष्य खराब हो सकता है।
परिवार की आर्थिक तंगी से द्रौपदी मुर्मू ने नौकरी छोड़ने का निर्णय लिया जिसके बाद वह गांव में ही रह कर एक एजुकेशन सेंटर में बच्चों को पढ़ाना शुरू किया किया था, जहां उन्हें वेतन नहीं मिलती थी।
द्रौपदी मुर्मू के दो बच्चे है जिनका नाम लक्ष्मण मुर्मू तथा इतिश्री मुर्मू है। द्रौपदी मुर्मू ने अपनी पुत्री को पढ़ा लिखा कर इतना काबिल बना दिया था कि वह खुद समाज में एक अपनी अलग पहचान बना सके।
इतिश्री का कॉलेज की पढ़ाई पूरी होने के बाद झारखंड की राजधानी रांची में बैंक में नौकरी करती थी। द्रौपदी मुर्मू के पुत्री इतिश्री का विवाह झारखंड के ही गणेश नामक व्यक्ति से हुआ था। आज इतिश्री की एक पुत्री है जिसका नाम अध्याश्री है।
द्रौपदी मुर्मू का संघर्ष काल
द्रौपदी मुर्मू ने अपने जीवन काल में बहुत से संघर्षों का सामना किया है लेकिन फिर भी कभी इन्होंने अपनी जिंदगी में हार नहीं मानी है। एक समय इनके जिंदगी में ऐसा था कि वह लगभग एक दो महीना तक डिप्रेशन में चली गई थी।
डिप्रेशन में जाने के पीछे का कारण 25 वर्ष के उम्र में इनके पुत्र का असमय मृत्यु हो जाना था फ़िर इसके कुछ समय बाद इनके दूर के रिश्तेदार के एक लडके का सड़क दुर्घटना में निधन हो गया था।
सही मायने में देखा जाए तो द्रौपदी मुर्मू के जीवन से कठिनाइयां कभी कम ही नहीं हुई थी। बेटों की मृत्यु होने के बाद उनके पिता की भी मृत्यु हो गई फिर कुछ समय बाद उनके भाई का देहांत हो गया था।
इस प्रकार से द्रौपदी मुर्मू ने एक दो महीने के अंदर अपने परिवार के तीन से चार सदस्यों को खो दिया था। इन तमाम दुखों से निकलकर द्रौपदी मुर्मू जब अपने जिंदगी में कुछ करना चाहती थी तब फिर उनके पिता श्याम चरण मुर्मू का भी देहांत हो गया था।
परिवार के इतने सारे सदस्य का एक से दो सालों के अंदर देहांत हो जाने के बाद द्रौपदी मुर्मू ने ब्रह्मकुमारी में अध्यात्म के साथ साथ योग साधना की शुरुआत की थी। उन्होंने इस दौरान डिप्रेशन के खिलाफ लड़ाई लड़ते हुए आत्मशक्ति बल पर जीत हासिल किया था।
द्रौपदी मुर्मू का राजनीतिक करियर
द्रौपदी मुर्मू ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत साल 1997 को भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर किया था। सबसे पहले इन्होंने रायरंगपुर के पंचायत में पार्षद के चुनाव को लड़ी थी।
इस दौरान उन्होंने पहली बार में ही जीत हासिल किया ओर धीरे-धीरे वे काफ़ी प्रचलित हो गई। इसके बाद द्रौपदी मुर्मू ने बड़ी तेजी से भारतीय जनता पार्टी के अनुसूचित जनजाति के उपाध्यक्ष पद को संभाला।
द्रौपदी मुर्मू उड़ीसा के मयूर जिले के रायरंगपुर नगर से दो बार विधायक का चुनाव जीत चुकी है। इन्होने पहली बार 2000 और 2004 के बीच उड़ीसा के वाणिज्य परिवहन और मत्स्य पशुपालन संस्था विभाग के मंत्री रही थी। इसके बाद वर्ष 2009 में वह विधायक के पद से हटी थी।
फिर इसके बाद वर्ष 2015 में द्रौपदी मुर्मू झारखंड राज्य के राज्यपाल बनी। द्रौपदी मुर्मू झारखंड राज्य के राज्यपाल बनने वाली प्रथम महिला है।
इसके बाद इन्हें राष्ट्रपति चुनाव 2022 में 15वे राष्ट्रपति की महिमा के लिए नियुक्त किया गया और आज द्रौपदी मुर्मू भारत की दूसरी महिला राष्ट्रपति तथा भारत की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति है।
द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार में क्यों आईं?
वर्तमान समय में द्रौपदी मुर्मू 65 वर्ष की हो चुकी है इन्होंने भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर कई अलग-अलग क्षेत्रों में चुनाव जीता हुआ है। ये 9 साल तक खुद विधायक रह चुकी है तथा तीन अलग-अलग क्षेत्रों में मंत्री पद पर भी कार्य कर चुकी है।
इसके अलावा द्रौपदी मुर्मू झारखंड राज्य के पहिला महिला राज्यपाल भी रही थी। इन्होने अपने जिंदगी में राजनीतिक कार्यों में काफी सफलता प्राप्त हुई थी जिसके कारण से इन्हें भारत के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में चुना गया था।
आज द्रौपदी मुर्मू भारत के राष्ट्रपति पद पर बैठ कर देश के कार्य भार संभाल रही है। द्रौपदी एक समय भारतीय जनता पार्टी से अपना राजनीति करियर खत्म करना चाहती थी लेकिन NDA के अनुरोध से राष्ट्रपति पद के लिए नामांकन कराया था।
द्रौपदी मुर्मू ट्विटर अकाउंट (Droupadi Murmu Twitter Handle)
Shri Piyush Goyal, Union Minister of Commerce & Industry called on President Droupadi Murmu and conveyed birthday greetings to the President at Rashtrapati Bhavan. pic.twitter.com/5t7oKkycDH
— President of India (@rashtrapatibhvn) June 20, 2023
द्रौपदी मुर्मू की उपलब्धियां
- द्रौपदी मुर्मू भारत की दूसरी महिला राष्ट्रपति तथा भारत की प्रथम आदिवासी महिला राष्ट्रपति है।
- द्रौपदी मुर्मू झारखंड राज्य की पहली महिला राज्यपाल भी रह चुकी है।
- इन्होंने उड़ीसा के रायरंगपुर से दो बार विधायक के पद में 2000 से 2009 तक कार्य किया था।
- इन्होंने पहली बार साल 2009 में उड़ीसा के अनुसूचित जाति के मोर्चा को भारतीय जनता पार्टी में रहते हुए संभाला था।
FAQs
द्रौपदी मुर्मू एक आदिवासी महिला है, जो इस समय भारत के राष्ट्रपति पद के कार्यभार को संभाल रही है।
भारत के राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का उम्र 2023 में 65 वर्ष है।
आदिवासी समुदाय या अनुसूचित जाति से द्रौपदी मुर्मू का तालुकात है।
द्रौपदी मुर्मू का विवाह श्याम चरण मुर्मू से हुआ था।
झारखंड राज्य की पहली महिला राज्यपाल द्रोपदी मुर्मू बनी थी।
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उम्मीद करता हूँ की द्रौपदी मुर्मू की संघर्ष भरी जीवनी (Droupadi Murmu Biography in Hindi) आपको पसंद आया होगा और आपके लिए हेल्पफुल भी साबित हुआ होगा। वाकई देश की प्रथम आदिवासी राष्ट्रपति महिला के बारे में लिखकर मुझे बहुत ख़ुशी हुआ और उम्मीद करता हूँ आपको भी पसंद आया होगा।
यदि द्रौपदी मुर्मू का जीवन परिचय से सम्बंधित आपके मन में कोई सवाल या सुझाव हो तो हमे कमेन्ट बॉक्स में बताये तथा इनकी जीवी को अन्य के साथ साझा जरुर करे।